शनिवार, 26 मार्च 2011

जीवन को  रंग से भर दो, प्यार में डुबकी लगा लो,  बड़ा आनंद आयेगा, खुशियाँ भर जाएँगी गोद में और मन हमेशा एक  नयी आशा से भर जायेगा. सब कुछ अच्चा लगने लगेगा. हमेशा अपने लिए जीते हो कभी औरों के लिए तो जी कर देखो, जीवन में एक नयी अनुभूति भर जायगी. तो आवो  चले कुछ नया करने.

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

आज ब्रिज में होली है रे रसिया -------------सचमुच होली में कान्हा और राधा को याद नहीं किया गया तो होली अधूरी  है. यह प्रतीक है प्रेम का , आसक्ति का और एक दूसरे में खो जाने का. कान्हा में राधा का और राधा में कान्हा का. अपने प्रियतम को रंगे बिना तो होली बिलकुल सूनी है क्योंकि यहाँ  प्रेम बिना बोले ही सबकुछ बोल जाता है. इस फाग में यदि प्रियतमा अपने प्रियतम को एक नजर भर देख लेती है तो वह रंगों के तालाब में मन ही मन डुबकी लगाने लगता है . बस यही तो है उसकी होली . 
                प्रेम रस तो बच्चों में भी चढ़ता है पर थोडा अलग रूप में . उनकी पिचकारी ने जिसे रंगा बस उनकी होली का रंग और गहरा हो गया और ख़ुशी इतनी कि प्रकृति भी पगला जाती है. तो सबको होली की शुभकामना. 

शनिवार, 12 मार्च 2011

जीवन में सुख 
क्यों री कोयल 
तुम फिर कूकने लगी
                     अमराइयों  में ,
मदमस्त बावरी सी 
अपने प्रियतम ऋतुराज 
                 वसंत को रिझाने में,
सुध-बुध खोयी तुम 
फिरती हो इधर-उधर चंचल सी 
कुहुक-कुहुक उठती हो छिपकर
                  मंजरियों में 
तुम जानती हो तेरा प्रियतम 
पुन: चला जायेगा तुम्हे छोड़कर 
                 इन्ही फिजाओं में 
तब तुम प्रेमोन्नत हो 
मौन हो जाओगी पुन: उसके
                 विरह में 
फिर भी जी लेना चाहती हो तुम 
एक-एक पल अनुरक्त होकर 
एक सीख  देती हुई 
कि जीवन में सुख है
               थोड़ा पाने में.